Tuesday 23 June 2020

ब्लॉग से कविता संग्रह तक

सन् 2007 में दैनिक हिन्दुस्तान, रांची से अमर उजाला, नाैएडा गया था। तब ब्लॉगिंग की शुरुआत हुई ही थी। अमर उजाला में हमारी फीचर टीम के अनुराग मिश्र, ब्रजेश यादव, अवैद्यनाथ दुबे आदि ने अपने-अपने ब्लॉग बनाये थे। मैंने अपने ब्लॉग का नाम मन बावरा रखा था। यानी खामख्याली में जाे आये, लिख मारा जाये। उन्हीं दिनाें भाई यशवंत सिंह ने भड़ास नामक ब्लॉग बनाया था, जिसमें अखबारी जगत की तमाम सूचनाएं आया करती थीं, जिन्हें हम बड़े चाव से प्रतिदिन पढ़ते थे। रांची से पहली बार काम के लिए दिल्ली आने के बाद स्वतः एक नॉस्टैल्जिया सी थी, साे अपने ब्लॉग में दैनिक प्रभात खबर से लेकर दैनिक हिन्दुस्तान तक के तमाम सहयाेगियाें के साथ बिताये वक्त ब्लॉग में लिखा करता था। झारखण्ड के कई पत्रकार दिल्ली में थे, ताे सभी मेरा ब्लॉग पढ़ते थे और टिप्पणी भी करते थे। सन् 2008 में दिल्ली से लाैटने पर मन की आवारगी बनी रही और छिटपुट ताैर पर कविताएं लिखना शुरू किया। हमारे अखबारी जीवन में सुबह से शाम तक इतनी जद्दाेजहद हाेती है कि शाैक रहते हुए मानसिक ताैर पर कविता लिखने का मूड जल्दी बनता ही नहीं था। हां, किसी दिन दाे-दाे कविताएं तैयार हाे जाती थीं। यह क्रम सन् 2011 तक चला। तब तक लगभग 45 कविताएं तैयार हाे चुकी थीं। मन में आया कि कविता संग्रह प्रकाशित कराया जाये, लेकिन माैका ही नहीं मिला। फिर लगा-कम से कम 100 पेज से ज्यादा का हाेना ही चाहिए। कविता लेखन इसके बाद भी चलता रहा और अंततः सन् 2020 तक आते-आते 65 कविताओं का संग्रह हाे गया। संग्रह का नाम बेसाख्ता मन-बावरा ही मन में आया। अब मेरा कविता संग्रह एक सप्ताह में प्रकाशित हाेकर मुझ तक पहुंचने वाला है। लगभग 10-12 साल की तपस्या अब जाकर पूरी हाे रही है। आप सभी की शुभकामनाओं की आशा है। कविता संग्रह के बारे में अन्य अनुभव बाद में शेयर करूंगा।